क्यों (Why But)
बाग़बान ,
तुम्हारे प्राचीन बाग़ का एक पौधा -----
जिसे ;
तुम्हारे चले जाने का दुःख तो नहीं , मगर
अफ़सोस जरूर है ,
एक सवाल करता है ?
एक बाग को सवांरने में , तुमने अपनी
ज़िन्दगी का एक बड़ा हिस्सा ,
गंवा दिया। वक़्त आया जब , उस बाग़ का ,
हार पौधा सर उठा सके , तुमने
दुसरे ही बाग़ की बागबानी -----
अख्तियार कार ली।।।
उस बाग़ में पौधे रोपकर ,
पहले बाग़ का एक पौधा , जो तुम्हारी ----
बागबानी से घबराकर बिखर गया था ,
तुमने उसे , दुसरे बाग़ में , रोपने की कोशिश ;;;
की। --- और चुपचाप चले गए।।
क्यों ? खिलवाड़ की तुमने दो -दो बागों के ;;
जीवन से ?
जवाब कहीं से भी दो , यह पौधा -----
सुन लेगा , जी लेगा ,
और मर भी लेगा।।।।।।
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(NEVER EVER DESERT THEM, WHO LOVE YOU. NEVER EVER DESERT THEM WHO DEPEND UPON YOU. YOUR CONSCIOUS WILL NOT LET YOU LIVE IN PEACE.)
By Rabindranath Banerjee(Ranjan)