एक फाका मस्त कवि(A Poet Cheerful In Adversity)
एक फाका मस्त कवि,
पहाड़ सा कवि,
बीमारी से कठोर संघर्ष के बाद ----
चुपचाप मर गया।
कठोर मगर ऊपर से,
दुखी बहुत दीनों के हालत से,
संतप्त बहुत बदलते परिवेश से,
हमारी व्यवस्था को एक---
व्यंगात्मक हंसी फेंक ,
चुपचाप मर गया।
हमारे पास एक ऐसा चेहरा है,
जो दिखने के काम आता है,
कवि की प्रतिमा बन जाती है !!!
लाखों खर्च हो जाती है !!!!!
पहाड़ सा कवि बीमारी से,
कठोर संघर्ष के बाद,
चुप चाप ,
मर गया !!!!!!!
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(ALAS! WE HAVE ENOUGH MONEY TO SPEND UPON STONES, BUT NOT FOR POORS, STARVING, AILING PEOPLE AND POOR WRITERS AND POETS.)
By Rabindra Nath Banerjee(Ranjan)