अफ़सोस(Ah, Alas!)
एक सुनहरी संभावना थी ,
इस शहर में दंगे की ,
और हमने गंवा दिया !
कलुआ के बेटे ने,
पंडित की पुत्री से,
कोर्ट मैरिज कर लिया !
सवर्णों का मीटिंग होना था,
हरिजनों की बस्ती जलनी थी,
बीस तीस बलात्कार होना था
लाठी चार्ज होना था,
गोलाबारी होना था,
मगर अफ़सोस----
हमने, सब कुछ,
चुप चाप,
हज़म कर लिया,
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(SOMETIMES, AFTER READING THE DAILY NEWS PAPERS, SOME NEWS DISTURB US. AND THE THOUGHT COMPELLS TO THINK THAT, STILL WE ARE LIVING IN STONE AGE.)
By Rabindra Nath Banerjee(Ranjan)