Couplets
Dear Readers,
Now you are to enjoy the couplets ( Shayree) composed by me.
These two-liners are more powerful sometimes even more than twelve-liners.
As the needle's job cannot be performed by sword.
So enjoy and post your precious views into the Guest Book.
Thank you.
Rabindranath Banerjee(Ranjan)
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(1)
सारे जमाने की गर्दिशे 'रंजन' की तलाश में है,
ओ मेहबूब अपनी बाहों में छुपा ले उसे !
(2)
ना कर रुस्वा खुदा की तहरीर को बन्दे,
आइना को तर्सेगा कयामत के दिन तू !
(3)
सोलह जाम की एक ग़ज़ल 'रंजन' ये है क्या,
ज़माना ज़मीर बेच रहा और तू गाता है क्या !
(4)
तुम लहू बहाते हो आकाओ के इशारे पर,
और हम लुटाते हैं इंसानियत के नाम पर !
(5)
रूठना तो पल भर का था उनका ,
मनाने में हमने ज़िन्दगी गुजार दी !
(6)
वो मुस्कुरा के चल दिए और हम तकते रहे ,
'रंजन' उसने सोचा क्या तेरे हश्र के तहत !
(7)
अरसे से रूबरू न जाने की कसम ,
'रंजन' खाता रहा रूबरू उनके !
(8)
दिल्लगी में उन्होंने दिल को तबाह किया फिर भी लोग दिलवाले कहते हैं,
खिंजा में उजड़े चमन को भी लोग चमन ही कहते हैं !
(9)
बहुत पीटा जी भर कोसा नासेह ने तुझको मगर,
'रंजन' तू फिर भी इकरार से न बाज आया !
(10)
होठों पे ग़ज़ल आँखों में पानी,
'रंजन' तेरी येही कहानी !
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