Hindi Couplets Page- 17
161.
क्यों पूछते हो बार बार कहाँ गुज़री है रात "रंजन' से ,
अगर वो होश में होता वाजिब है अपने घर में होता।।
162.
इंसानियत की क्या पूछते हो , इल्म की क्या पूछते हो ,
लाखों नसीहतों के बाद भी हैवान का हैवान ही रहा "रंजन।।
163.
किसी दिन उसको उसके रूबरू कर दो ,
और ज्यादा हैरान कर दो हैराँ "रंजन" को।।
164
आइना देखता है और गुजरने वालों को "रंजन",
आखिर ये आइना किसने इसे भेजा है।।
165.
हर चेहरे पे हिज़ाब है , हर चेहरे पे नक़ाब है ,
"रंजन" खड़ा है हैरत ज़दा , चेहरा कहाँ छुपाये।।
166.
उनकी आँखे झुकी हुई और मैं खड़ा हैराँ "रंजन",
होते होते यूँ हुआ इज़हार-ए-तमन्ना हो गया।।
167.
जब हम खाकनशीं जान लेकर पहुंचे मक़्तल पर ,
तब से आज तलक़ जल्लाद भागा भागा फिरता है "रंजन।।
168.
क्या करेगा उस जन्नत में जाकर "रंजन",
जहाँ कई सदियों से वही हूरों से काम चल रहा।।
169.
अब हुस्न से एहतियात बरतने लगे हैं लोग ,
"रंजन' क्या जाने कोई अपना हाल बताता ही नहीं।।
170.
एक ही किस्से को बार बार दोहराता रहता है "रंजन",
और हर बार हर जिस तिस को रुला रुला देता है वो।।